गुलाब
गुलाब
गुलाब बन कर
जिंदगी को महकाना।
जिंदगी हो,
सबकी गुलजार
तुम नफरतों से,
इसे बचाना।
गुलाब बन कर
जिंदगी को महकाना।
न मसले कोई,
खिलती कलियाँ
स्वार्थपरता की,
दीवारों को गिराना।
गुलाब बनकर
जिंदगी को महकाना।
प्रेम से सींच हृदय,
मुस्कराहटों के गुल खिलाना।
कोई आँख नम न रहे।
जिंदगी को बागवानों सा सजाना।
