कुहार
कुहार
अल्फाज़ आज फिर जुबान पर खामोश हुए हैं,
फिर उन आंखों से मोती बरसे हैं,
नन्ही सी प्यारी 'माँ' कहने वाली किलकारी आज फिर सुलाई गयी।
ऊस माँ के दिल को ठेस ही नही पहुँची
ऊसका आज ऊन औलादों पर से भरोसा उठ गया है, कभी ऊसी की कोख से जन्मे थे
वही आज किसी और की कोख ऊजा़ड रहे हैं ,
क्यू ,क्या और कौन ना पूछो ,यह उस मरी हुई परी की गुहार है।।
