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Hemant Latta

Inspirational

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Hemant Latta

Inspirational

गुब्बारे वाली

गुब्बारे वाली

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होंठों पर मुस्कान थी उसके,

चेहरे पर एक थकान थी,

बेच रहीं , वो गुब्बारे,

नौ साल की नन्ही जान थी!!


अपनी रूठी किस्मत को मनाने निकल गई,

खेलने की उम्र में, कमाने निकल गई,

दुनिया भी बेरहम, देखती रहीं,

लगता उनकी अक्ल, घास खाने निकल गई!!


गुब्बारा बिकने पर खुश होती,

एक और गुब्बारा फिर फूलाती है,

साँसे भी अब हवा मांग रहीं,

इतना ज़ज्बा कहाँ से लाती है!!


शिक्षक अब मजदूर बने है,

अर्थ कमाने को मजबूर बने है,

शिक्षा पाकर भी घर बैठे है,

कुछ भिक्षा से फल-फूल रहे है!!


लगता है एक बवाल करेगी,

बच्ची की बात कमाल करेगी,

क्यों अनपढ़ मुख्य बने है?

सत्ता से तीखा सवाल करेगी!!


पानी बेचे सब बैठे हैं ,

दुकानों पर शिक्षा का रोला है,

"ए छोटू चाय लाना"

किसी शिक्षक ने ये बोला है!!


शिक्षा पाकर मुख्य बनो तुम,

गुब्बारा कोई और फुला लेगा,

कर्तव्य अधिकार दोनों को जानो,

ये जीवन द्वार खुला देगा!!


गुब्बारा पकड़कर उड़ जाओ तुम,

सफ़लता के अनंत आसमान में,

"गुब्बारे वाली" भी अब चमकेगी,

इतिहास-ए-हिंदुस्तान में!!


गुब्बारे वाली के जैसे,

कितनों ने बचपन अपना खोया है!

दुःख, दर्द, पीड़ा को,

"हेमन्त" ने शब्दों में पिरोया है!!


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