ग्रन्थागार
ग्रन्थागार
कितने युगों की कथा, कितनी महागाथा
साधुसंतों की वाणी, पौराणिक कहानी
वेद वेदांत, उपनिषद भागवत गीता
और महाभारत जैसे ग्रंथों की है संहिता।
ग्रंथों और किताबों को अपने गर्भ में समेटे
इतिहास और यादों को सुरक्षित रखता है।
पुरानी रीतिनीति, परंपरा,समाजिक तत्वों को
वर्तमान और भविष्य के लिए संचित रखता है।
कहीं रामकहानी तो कहीं कृष्णकहानी
भक्ति में भीगने वालों को अमृत पिलाता है।
कहीं राधा की रास तो कहीं मीरा की आश
प्रीत के रंग और समर्पण का पाठ पढ़ाता है।
पृथ्वीराज की वीरता कहीं,तो गजनी की घात
शिवाजी और प्रताप के स्वदेश प्रेम की बात
सुभाष, भगत,आजाद के राष्ट्रप्रेम के नारे
कुर्बानी,बलिदानी में कितने जीवन हारे।
बुद्ध, महावीर की सत्य अहिंसा धर्म
गांधी ने पालन करना सिखलाया।
परोपकार परमोधर्म है जीवन में जग में
इन महात्माओं ने प्रयोग के दिखलाया।
अतीत के हर पन्नों में जीवन दर्शन है
कल और आज में अंतर को दर्शाता है।
पथभ्रष्ट को राहा दिखाता, सच्चामित्र बन
जीवन में आनंद भर हर्षाता सरसाता है।
यह गुरु है, मित्र है और ज्ञान का भंडार है
कोई और नहीं हमारा प्रिय ग्रन्थागार है।
कितने युगों की कथा,समय के प्रति ताल में
सुनाने को उत्सुक हमें हमारा ग्रन्थागार है।
