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DrKavi Nirmal

Abstract Inspirational

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DrKavi Nirmal

Abstract Inspirational

गरीब लाचार नहीं- विप्लवी बनेगा

गरीब लाचार नहीं- विप्लवी बनेगा

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शहीदों की कुर्बानी,

हर साल याद कर लेते हैं हम।

शहादत का कलाम पढ़,

मंचों पे वाह-वाही सुनते हैं हम।।


जंजीरों के रिसते धाव,

नजरअंदाज करते हैं हम।

जश्न आजादी का मनाते-

हर बार सँवरते-सजते हैं हम।।


बेेबस- लाचार- गरीब को नसिहत-दिलासा बेहिसाब देते हैं हम।

हाय-तौबा कर चिल्लाते तो सलाखों के पीछे किए जाते हैं हम।।


गजब है आजाद वतन की सिसकती दास्तां।

मजहब-सरहद-भाषा के नाम पे चलता है कारवॉ।।


अमीर बढ़ सवँर रहे हैं हर रोज यहाँ।

लाचार गरीब सुबह-शाम अश्क बहाते हैं यहाँ।।


मजबूर हो आतंक की राह पर चल रहे।

शरहद से पार बारुदी सूरंग बिछाते हैं रोज।।


अस्मत का बाज़ार जोर से है चल रहा।

काला बजार दिन दहाडे आज भी है चल रहा।।


एक फिरंगी गया, हजार तैयार रोज हो रहे।

चैन की चादर ओढ़, सिपाहसलार सो रहे।।


नेता गद्दी पकड़-सब्सिडी पर मौज कर रहे।

उफ़, देश का लाचार गरीब छटपटा रहा।।


अपनों का खून स्वदेशी हीं हाय पी रहा।

विकास के बहाने कोई लम्बी उड़ान ले रहा।।


अपनों का पोख्ता इंतजाम विदेश में कर रहा।

इमान बिक गया, दौलतमंद हैवान शैतान बन रहा।।


अपनी माँ-बहन-बेटी को निलाम वे रोज कर रहे।

एलान इन्कलाब का हम क्यों (?) नहीं कर रहे।।


इमान-धर्म की नेक राह पर चलना होगा।

"लाचार गरीब को बचाओ- नारा बुलंद करना होगा।।


अमन-चैन का झंडा घर-घर में फहराएगा।

अस्मत ढकेगी, कोई बुरी नजरों से देख नहीं पाएगा।।


हर बच्चा पढ़-लिख, नेक बन, देश चलाएगा।

घर की टूटी छत की मरम्मत आदमी बन करवाएगा।।


गोदामों के ताले तोड़ रासन घर-घर में सद् विप्र पहुँचाएगा।

जो जिस लायक होगा, घर-गाड़ी वैसी हीं वो पाएगा।।


अपना नहीं कुछ होगा, संपदा का केंद्रिकरण होगा।

अमीरों की तिजोरियां खाली होगी, नहीं एक गरीबी होगी।।


जमाखोरों का भण्डारण अब नहीं और चल पाएगा।

नैतिकतावादी हीं अब दिल्ली-पटना-मुंबई आदि जाएगा।।


स्वस्तिक झंडे तले सभों को आ सुरक्षित होना होगा।

सुदर्शन चक्र नहीं- शोणित विप्लव लाना होगा।।


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