गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
पक्षी भी हैं कलरव करतें, भरे ख़ुशी से चहचहाते हैं,
उठो उठो ऐ देशवासियों, मिलकर गणतंत्रता दिवस मानते हैं
सर्दी की नरम धूप में, आज़ाद गगन में तिरंगा फहराते हैं
फ़क्र भरे शब्दों के साथ ,गौरवशाली इतिहास दोहराते हैं
हुआ संविधान लागू इस दिन,बड़े बुजुर्ग हमें बताते हैं
और हमें अनगिनत बलिदानों की, सजल गाथा भी सुनाते हैं
आओ चलो ऐ देशवासियों, हम सब भी कर्तव्यनिष्ठ बन जाते हैं
भारत माँ के सच्चे सपूत बन, देशहीत का बीड़ा उठाते हैं
हुए जाने कितने लहुलुहान, फिर ये खुशहाली छाई
आओ हम नतमस्तक होकर, शहीदों को पुष्प अर्पित कर आतें है
उठो उठो ऐ देशवासियों, मिलकर गणतंत्रता दिवस मनाते हैं...