गंगा जमुनी तहजीब
गंगा जमुनी तहजीब
मैं हिन्द देश का वासी हूं
मैं हिंद देश से आया हूं
मैं प्रेम सबसे करता हूं
मैं प्रेम सीखाने आया हूं।
नफरत बहुत फैल चुकी है
मैं नफरत मिटाने आया हूँ
मैं हिन्द देश का वासी हूं
मैं हिंद देश से आया हूं।
जहाँ बच्चों का है बचपन
माँ की है ममता
पिता का है करुणापन
दादी का है भोलापन।
मैं वहां से तुम्हारे लिए
आशीष लेकर आया हूं
मै हिंद देश का वासी हूं
मैं हिंद देश से आया हूं।
जहाँ धरती की है भीगी सुगंध है
गंगा जमुनी तहजीब जहां
जहां भारतीय सांस्कृतिक मालाओं की
बहती है रीत सदा।
मैं उस पवित्र धरा की रज कर
तुम्हारे लिए लाया हूं
मैं हिंद देश का वासी हूं
मैं हिंद देश से आया हूं।