गंगा दशहरा
गंगा दशहरा
अभी जा रहा हूँ मैं दशहरा मनाने,
कुछ पल बिताएंगे गंगा के किनारे।
मिलेंगे सुकूं के वहाँ हज़ारों सहारे,
अभी जा रहा हूँ मैं दशहरा मनाने।
साथ जा रहे हैं हमजोली हमारे,
ए मन का इरादा जरा तू बता दे।
होगा सफर अपना कितना सुहाना,
आज जा रहे हम उस गंगा किनारे।
राह में हज़ारों गजब मस्तियाँ होंगी,
मज़ाक भी होंगे हाँ बातें भी होंगी।
लौटकर भी आएंगे अपने ठिकां पर,
गुजर जायेगा दिन फिर रातें भी होंगी।
