गम में हिम्मत हौंसले को रखें
गम में हिम्मत हौंसले को रखें
गम और खुशी जिंदगी के दो पहलू हैं।
खुशी में इंसान बहुत खुश हो जाता है
और अपनों के साथ खुशी बांट जाता है।
मगर किसी अपने के जाने के गम में इंसान शुरुआत में
लोगों का साथ थोड़े दिन पा लेता है फिर अकेला पड़ जाता है।
उसके अपने भी उसका साथ छोड़ जाते हैं।
उस गम से निकलने के लिए उसको अपने आप को ही बदलना पड़ता है।
समय-समय का काम करता है घाव मरहम लगाता है।
इंसान के अंदर की हिम्मत और हौसला बढ़ाता है।
कभी-कभी अपनों का साथ मिलता है।
मगर बहुत कम ज्यादातर खुद के गम से खुद को
ही लड़ना पड़ता है और उसमें से ऊबरना पड़ता है।
क्योंकि दुनिया की यही रीत है रोने वाले को कोई अपना कंधा नहीं देता है।
आपके कठिन परिस्थितियों से आपको खुद को जूझकर के निकालना पड़ता है।
ऐसे समय में खुद की हिम्मत और ईश्वर पर आस्था ही काम लगती है।
हिम्मत और मेहनत से उसमें से निकलकर आगे तरक्की भी लोग करते हैं
और अपनी जिंदगी को अच्छी तरह जीते हैं।
अपने गम को भूल अपनी जिंदगी को सुचारू रूप से चला जाते हैं।
खुद ही खुद का साथी बन जाता है और ईश्वर का साथ पा जाता है।
हिम्मत हौसला और पुरुषार्थ से
अपनी जिंदगी सफल बनाता है।
और गम से उबर जाता है।