STORYMIRROR

Apoorva Anitya

Romance

4  

Apoorva Anitya

Romance

गलतफहमी

गलतफहमी

1 min
534

जब लगे कि वो 

कहीं और देख रही है

तुम्हारी आंखों के सिवा,

जब लगे कि 

अपने नाम से वो

पोंछकर मिटा रही है

तुम्हारी पहचान..


जब यकीन हो जाए

कि उसकी चुप्पी 

चुप्पी नहीं, कोशिश है

तुम्हें न सुनने की

कि, अब वो कोई बात 

करना ही नहीं चाहती..


जब लगने लगे कि

तुम्हारे हाथ से 

अपना हाथ झटक कर

छुड़ा रही है, 

जब लगे की अब वो

तुम्हें छोड़ के जा रही है,

तो अब तक तुम्हें


सब कुछ ही गलत लगा

असलियत में वो

बहुत पहले ही 

तुम्हें छोड़ कर 

जा चुकी होती है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Apoorva Anitya

Similar hindi poem from Romance