गजल
गजल
पेड़ पौधों ने सबकुछ दिया है तुम्हे
पेड़ों को काटना नही चाहिए
प्रकृति ने सब मुफ्त दे दिया तुम्हे
बहती गंगा में हाथ धोना नही चाहिए
जीवन की अमृत धारा है ये
व्यर्थ पानी बहाना नहीं चाहिए
इन परिंदो का आशियां आकाश में
कैद इनको करना नही चाहिए
नदियों का पानी है अनमोल अब
गाद इनमें फैलाना नहीं चाहिए।