गजल(एहसास)
गजल(एहसास)
रूठे रहना अच्छा नहीं, अपनों से, मनाने पर जरूर मान जाओ,
अपने तो आखिर अपने होते हैं, यह बात सब मान जाओ।
हो जाती है गलती आखिर हर किसी से, बात का बतंगड मत बनाओ,
नहीं करता गलती जो ऐसा इंसान बतलाओ।
रिश्ता टूट जाने पर एहसास होता है अपनों का,
अनमोल होते हैं यह रिश्ते इन्हें मत ठुकराओ।
भूल जाओ बीती बातों को, उन्हें मत दोहराओ,
लग कर एक दुसरे के गले तुम एक जुट हो जाओ।
जुड़ते नहीं कभी टूट कर बंधन के धागे,
इन्हें गाँठ मत लगाओ, मत करो विश्वास लोगों की बातों का,
अपने घर में सेंध मत लगाओ।
टूट जाते हैं प्रेम के बंधन अंधविश्वास से कईबार,
इतने अंधे भी मत बन जाओ।
एकता में वल है, कहावत है दूनिया की, इसे समझ जाओ,
एकजुट होकर रहो हमेशा तिनका, तिनका मत बन जाओ।
ऱिश्तों की भरी महफ़िल में, फिर से रंग भर लाओ,
नहीं मिलती रिश्तों जैसी
मिठास सुदर्शन, इनमें खटाई मत उलजाओ।
रूठ गया है कोई अपना किसी भी वजह से अगर
तरूंत उसे मना लाओ, बैठ कर सुबह शाम इक्कठे अपनी महफ़िल फिर से सजाओ।
लो नाम प्रभु का सुबह शाम, अच्छी संगति में
रोज जाओ, सुनो ना ऐसी बात किसी से, की अपनों को ठुकरओ ।
है खुदा भी राजी, इसी में
की भाईचारा ऐसा बनाओ, बने रहो एक दुसरे के हमसफर ऐसे
कि, मुसीबत में कभी भी ना डगमगाओ।
आ जाए मुसीबत किसी पर भी कभी, उसे अपना पन दिखलाओ, पक्की होती है डोर रिश्तों की सुदर्शन इसे कभी मत तुड़वाओ, रूकेगा न कभी भी कोई काम तुम्हारा अगर एकजुट तुम हो जाओ।
