घर से निकली है
घर से निकली है


आज धूप बड़ी सुनहरी निकली है,
सूरज निकला है, या मेरी दिलरुबा निकली है।
और शबनम सी छाई हुई है हर तरफ,
फूल भीगे है, या वो ज़ुल्फ गीली करके निकली है।
मेरे प्यार की खुशबू हर और महक रही है,
शायद वो मेरे नाम कि मेंहदी लगा के निकली है।
मेरे घर की दीवारें सजने लगी, चौखट हँसने लगी,
मेरे आशियाने आने को वो अपने घर से जो निकली है।
दिन सारा अंधेरा रहा, रात रौशन हो गई,
नज़रों के सामने आकर ख्यालों से निकली है।