ग़ज़ल-
ग़ज़ल-
दिल ये तुम्ही से लगाना है
दिल का रिश्ता बहुत पुराना है
आशियाँ साथ में बसाना है
जल्द अपने घर ले के आना है
जख़्म गहरे है मेरे सालो से
दर्द को सबसे अब छुपाना है
गर्म हालात है मुल्क़ के यारों
हौसलें से यूँ आगे आना है
सब यूं खंजर ही लेके बैठ गए
ज़िंदगी दाँव पेलगाना है
हद ही कर दी किसी दिवाने ने
ताज बनवा के अब दिखाना है
धूप आएगी ज़िंदगी में यूं
अँधेरे को यहाँ से जाना है
दर ब-दर हो गए सभी अपने
अब मदद को हाथबढ़ाना है
होश खो बैठा है कब से 'आकिब'
मुद्दतों से तेरा दिवाना है।