गौतम बुद्ध की राह
गौतम बुद्ध की राह
दु:ख रहित सुखमय जीवन की
होती है हर प्राणी ही की चाह।
सदा गमन करें अष्टांग मार्ग पर,
दिखाई जो प्रभु गौतम बुद्ध ने राह।
इस लोक में आगमन सार्थक तब ही,
रत रहें लोक कल्याण में जब तक प्राण।
प्रयोग करें बुद्धि-विवेक निज प्रज्ञा का,
लक्ष्य हेतु श्रम करने से होता है कल्याण।
मंजिल तो है मिल पाती स्वेद बहाकर,
नहीं दिला सकती है केवल मन की चाह।
सदा गमन करें अष्टांग मार्ग पर,
दिखाई जो प्रभु गौतम बुद्ध ने राह।
अति बुरी है किसी चीज की जग में,
परिस्थिति अनुसार मध्य मार्ग अपनाएं।
मधुर संगीत उचित कसाव तार दें वीणा के,
ढीले से अभाव ज्यादा कसे टूट ही जाएं।
आप सही हैं यह तय खुद ही तय कर लें,
दुनिया के तानों की तो करें ना परवाह।
सदा गमन करें अष्टांग मार्ग पर,
दिखाई जो प्रभु गौतम बुद्ध ने राह।
हम द्वेष भाव तो मत रखें किसी से ,
सदा श्रेष्ठ मार्ग का हम अनुसरण करें।
उन्नति पथ का अवलोकन करें ध्यान से,
लघुपथ छोड़ परिश्रम का हम वरण करें।
दु:ख -बाधाओं से न कभी भी घबराना है,
निज तृष्णाओं का कर देवें हम दाह।
सदा गमन करें अष्टांग मार्ग पर,
दिखाई जो प्रभु गौतम बुद्ध ने राह।
