गौरैया
गौरैया
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।
बड़ी सुहानी वह लगती है,छा जाती खुशियाॅ॑ तन मन में।
लेकर तिनका तिनका मुॅ॑ह से,एक सुंदर नीड़ बनाती है।
पालती है उसमें फिर बच्चे, दाना चोच में लेकर आती है।
प्यारे प्यारे छोटे बच्चों को,रखती अपने आलिंगन में।
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।01
धीरे धीरे उछल उछल कर,आ जाती थी पास मेरे।
चूॅ॑ चूॅ॑ करके दाना माॅ॑गती,खाती थी फिर साथ मेरे।
कितना प्यारा समय था अपना,गौरैया संग बचपन में।
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।02
गर्मी में प्यासी गौरैया,आती पानी पीने घर घर में।
प्याले में रखे पानी को,पीती थी मुॅ॑ह भर भर के।
रातों में विश्राम वह करने,आती थी वह अपनेपन में।
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।03
रोज सवेरे छत पर आकर, चीं चीं चीं चीं करती थी।
खाने को कुछ दे दो दादी,शायद ऐसा कहती थी।
चुग कर देना खुश हो करके,उड़ जाती थी दूर गगन में।
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।04
अब तो दुर्लभ हुई गौरैया,कहीं मिलती नहीं पनाह उसे।
नहीं बची हैं कच्ची छत छप्पर,कहाॅ॑ घोसले की जगह उसे।
रात बिताती है अब तो वह,बिल्कुल खुले आसमान में।
चीं चीं करती हुई गौरैया,जब आ जाती है आँगन में।