गांधी जी के तीन बंदर
गांधी जी के तीन बंदर
गांधीजी के बंदरों में कौन कौन हैं तो सुनो
कि काजारू इवाजारू मिजारू हैं जान लो।
कान बंद मुंह बंद आँखें बंद कहते ये
बुरा कभी नहीं सुनो कहो देखो ठान लो।
ये प्रतीक चिह्न रहे जापानी विरासत के
बने विश्व धरोहर इन्हें पहचान लो ।
गांधी जी के प्रिय रहे इसीलिए हमारे भी
प्रिय हैं "अनन्त" तीन बन्दर ये मान लो।
बुरा नहींं मुंह कहे बुरा नहींं कान सुनें
आंखें नहींं बुरा देखें जिंदगी वो ढाल लें।
सब को ही खुश रखें गीबत करें न सुनें
धूल डालें गंदगी पे शत्रुता न पाल लें।
ऐब ढ़ांकें हमेशा हीआबरू उछालें नहींं
किसमें भलाई सभीकी है देखभाल लें।
सुख चैन का यही तोसुपथ"अनन्त"यहां
सीधी उंगली से कामसारे ही निकाल लें।
बुरा कहेंगे तो गंदीजुबान हमारी होगी
पाक उसे करने में मर खप जाएंगे।
बुरा कान सुनेगें तोदिल पे असर होगा
गले जिसे लगाते थे हाथ न मिलाएंगे।
बुरा आंखें देखेंगी तोविष विचारों में घुले
नजदीकियों को हम दूरियां बनायेंगे।
उसकी रजा के बिना पत्ता नहींं हिलता है
ये "अनंत"मान लें तो सुख भोग पाएंगे।
पॉजिटिव सोच रख भरोसा हो ईश पर
कभी दुःख दर्द तेरे पास नहींं आएगा।
नेगेटिव सोच रही घटना घटे न घटे
हर वक्त भूत डर का तुझे डराएगा।
तालाबंदी जो हुई है दूरियां रखेंगे सभी
कोरोना का रक्त बीज छूने नहींं पाएगा।
कैसे कम साधनों में जीवन सुखी ये रहे
वक्त तुझे ये "अनन्त"रोज सिखलाएगा।
