Furqat !
Furqat !
महबूब का ख़त ए हाजत क़ासिद लाया
पढ़ता है “ खर्च हो गया
वो दिल जो तुमने था रखवाया"
मशियत ए जज़्बातों का बोहरान बताया
उनकी तंग हालि पर मुझे बेहद तरस आया
फ़ौरन ही मैंने लिफ़ाफा ए फुरकत में
पैग़ाम ए आज़ादी भिजवाया !
महबूब का ख़त ए हाजत क़ासिद लाया
पढ़ता है “ खर्च हो गया
वो दिल जो तुमने था रखवाया"
मशियत ए जज़्बातों का बोहरान बताया
उनकी तंग हालि पर मुझे बेहद तरस आया
फ़ौरन ही मैंने लिफ़ाफा ए फुरकत में
पैग़ाम ए आज़ादी भिजवाया !