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Abhishek Singh

Abstract

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Abhishek Singh

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फ़लसफ़ा-ए जिंदगी

फ़लसफ़ा-ए जिंदगी

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चलना सिखा हमने गिरने के बाद 

संभले हम माँ से लिपटने के बाद। 


जो नाराज़ है उन्हें नाराज़ ही रहने दो 

वो हमसे और रूठ गए मनाने के बाद 


चारागर मुझे इस अस्पताल से वापस न भेजना

कौन ख्याल रखेगा मेरा यहाँ से जाने के बाद। 


तलवारे मयान में डाल दी हमने 

अपनो की लाशें उठाने के बाद। 


वो जिंदगी ही क्या जो बिना सवालों के गुज़रे

यही कहा था सुकरात ने ज़हर पीने के बाद। 


तुम्हारा होना पता लगा मुझे

तुम्हारे यहाँ न होने के बाद। 


उसके बाद अब हम वीराने में जा बसे 

आया नही वहाँ कोई तुम्हारे जाने के बाद। 


राख उड़ी थी जब इस दिल सहर में कहीं

हम रुके थे वहाँ सब जल जाने के बाद।


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