एंटेना से चित्रहार तक
एंटेना से चित्रहार तक
कुछ अपनी, कुछ औरों की व्यथाएं ,
अनाम आकांक्षाएं ,
वेदनाएं, अतृप्त इच्छाएं ,
आंदोलित मूक परम्पराओं से उपजी ,
निष्काम संभावनाएं,
मूक निरीह इच्छाओं से जन्मी काव्यात्मक
भावनाओं का,
कितना क्या क्या हिसाब रखेंगे आप ?
बस अपने ह्रदय का एंटेना चालू रखिये ,
जो रजिस्टर करता रहे सभी भावनाओं को ,
पर उससे ज़्यादा कुछ नहीं,
और प्रक्षेपित करता रहे ,
जब भी आप चाहें, या लोग चाहें,
एक सुनियोजित कार्य कर्म ,
बिलकुल चित्रहार जैसा ,
तालियां ज़रूर बजेंगी ,,
यह मेरी गारंटी है!