एकता की शक्ति
एकता की शक्ति
रहो एक दूजे से मिलकर ,
भाईचारा प्रेम बढाकर।
एक राष्ट्र की सन्तति हो ,
एकता शक्ति को पाकर ।।
बिखर गया जो कोई भी हो,
जाति धर्म कुल या सम्मान ।
मिट जाता है नही शेष भी,
रह जाती उसकी पहचान ।।
याद करो हम बंटे है जब जब,
हमने अपना ही अहित किया।
मालिक हुए बाहरी आकर ,
दुख शोषण को सहन किया।।
जब सब मिलकर हुए एक,
तव तव अरि मान नसाया।
मिटा दुष्ट एकता शक्ति का,
उन्नत परचम लहराया।।
एकता बिना ना हो उन्नति ,
ना कही मान मिल पाये ।
एक बने हम सब मिलकर के,
तभी शान्ति सुख आए ।।