एकता बहुमुल्य।
एकता बहुमुल्य।
आज हर देश की रीढ़ की हड्डी,
है हमारी युवा शक्ति,
इसके उपर सारा,
दारोमदार,
आने वाले भविष्य की बुनियाद,
उसको कैसे संवारना,
उसको कैसे ऊंचाईयों पे ले जाना,
और हमारे समाज को सहिष्णुतावादी बनाना,
ये सब युवाओं के ही हाथ।
अगर सारे विश्व के युवा,
बना लें एकता,
हो जाएं इकट्ठे,
बना लें युवा पार्लियामेंट,
आपसे में बढ़ाएं तालमेल,
विश्व की समस्यायों के प्रति दिखाएं,
जिम्मेदारी,
सरकारें भी दें प्रोत्साहन,
युएन की भांति हो,
इस युवा पार्लियामेंट का संचालन,
तो एक नया विश्व उभरेगा,
जिसमें हर कोई न्यायसंगत रहेगा,
न कोई छोटा,
न कोई बड़ा,
न कोई कमजोर,
न कोई ताकतवर,
बस न्याय ही होगा,
सबका मकसद।
