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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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एक तुम्हारे होने से

एक तुम्हारे होने से

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एक तुम्हारे होने से

क्या क्या हो जाता है

मसलन सूरज निकल आता है

रौशनी बिखर जाती है


हवा झुरकने लगती है

पूरा परिवेश महकने लगता है

फूल खिल जाते हैं

परिंदे चहकने लगते हैं।


एक तुम्हारे होने से

रूठे मान जाते हैं

पतझड़ भी मुस्करा उठता है

चाँद जमीन पर उतर आता है


इंसान इंसान बन जाता है

प्रेम इतराने लगता है

जीवन सरल हो जाता है।


एक तुम्हारे होने से

आग शीतल हो जाते है

कोलाहल शांत में बदल जाता है

भागमभाग की विराम मिल जाता है


सोया हुआ सपना प्रत्यक्ष हो जाता है

पूरी सदी एक पल में सिमट जाती है

और परमात्मा पृथ्वी पर आ जाते है

मनुष्य के हमसफ़र बन जाते हैं

एक तुम्हारे होने से।


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