STORYMIRROR

Pinky Dubey

Abstract Classics Inspirational

4  

Pinky Dubey

Abstract Classics Inspirational

एक सपना देखती हूँ

एक सपना देखती हूँ

1 min
398

रोज मैं एक सपना देखती हूँ

जिसमे होते है मेरे अपने

रोज मैं एक सपना देखती हूँ

जिसमे होता है मेरा घर

रोज मैं एक सपना देखती हूँ


जिसमे होती है मेरी माँ जो एक नए उम्मीद देती है

नई उड़ान उड़ने के लिए

है मेरा सपना मैं एक पंछी बन उड़ना चाहती हूँ

कुछ अलग करना चाहती हूँ


आसन ज़िंदगी तो हर कोइ जी लेता है

मैं काटो पर चलकर

ज़िंदगी को फूल की तरह जिना चाहती हूँ

अपने आपको ऐसा बनाओ

की भीड़ में भी मैं पहचानी जाऊँ


दुनिया के किसी कोने पर चली जाऊँ

पर मैं अपना हुनर दिखाऊँ

दुनिया मैं अपनी पहचान बनाऊँ

और सबके आँखों मे छा जाऊँ


हर परीक्षा को करलूँ पार

और एक दिन कुछ बनके दिखाओ

और अपनी माँ के चेहरे पर खुशी लाऊँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract