एक सपना देखती हूँ
एक सपना देखती हूँ
रोज मैं एक सपना देखती हूँ
जिसमे होते है मेरे अपने
रोज मैं एक सपना देखती हूँ
जिसमे होता है मेरा घर
रोज मैं एक सपना देखती हूँ
जिसमे होती है मेरी माँ जो एक नए उम्मीद देती है
नई उड़ान उड़ने के लिए
है मेरा सपना मैं एक पंछी बन उड़ना चाहती हूँ
कुछ अलग करना चाहती हूँ
आसन ज़िंदगी तो हर कोइ जी लेता है
मैं काटो पर चलकर
ज़िंदगी को फूल की तरह जिना चाहती हूँ
अपने आपको ऐसा बनाओ
की भीड़ में भी मैं पहचानी जाऊँ
दुनिया के किसी कोने पर चली जाऊँ
पर मैं अपना हुनर दिखाऊँ
दुनिया मैं अपनी पहचान बनाऊँ
और सबके आँखों मे छा जाऊँ
हर परीक्षा को करलूँ पार
और एक दिन कुछ बनके दिखाओ
और अपनी माँ के चेहरे पर खुशी लाऊँ।
