एक श्रद्धांजलि पिता के नाम/ पिता की अहमियत
एक श्रद्धांजलि पिता के नाम/ पिता की अहमियत
पूज्य बाउसाजी आज आपकी पुण्यतिथि है।
24 साल गुजर गए आपको हमसे बिछड़े हुए। आपको शत-शत नमन
बहुत याद आती है आपकी। आपकी छत्रछाया न होने पर आपकी कमी /अहमियत समझ में आती है ।
पिता क्या होता है बच्चों के लिए वह हमको समझ में आता है।
मां-बाप बिना का घर हमको अनाथ होने का एहसास दिलाता है।
बहुत प्यार किया आपने हमको उस प्यार को याद दिलाता है।
मां बच्चों का नाता तो जन्मों से बहुत कहते आए।
पिता बच्चों के नाते का अनूठा एक संगम होता है
यह नाता है बहुत अनूठा।
हर पिता देखना चाहता है
अपने बच्चों को अपने से ऊंचा।
करता उसके लिए मेहनत तन मन धन से संस्कार सिंचन करता।
कोई भी कठिनाई आए उन पर वह न आने देता।
कभी प्यार से कभी कठोरता से जिंदगी के सारे नीति नियम ऊंच नीच समझाता।
खुद मेहनत कर खून पसीना एक कर बच्चे के सारे सुख इकट्ठे कर पाता।
जब बच्चे मंजिल पा जाता तो गर्व से पिता का सीना चौड़ा हो जाता।
उसको लगता आज मेरी मेहनत हो गई सफल।
मेरे बच्चों ने कर दिया मेरा नाम रोशन ,
और वह मन ही मन इतरा जाता।
जब कोई बोले यह देखो बाप बच्चों की जोड़ी अनूठी
तब तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता।
इस बदलते समय में बाप बच्चों के दोस्त बन के रह सकते हैं ।
थोड़ी हुकूमत कर सकते हैं। मगर ज्यादा हुक्म नहीं चला सकते ।
क्योंकि समय बदल गया है अब बड़ो हुकम सा का समय नहीं रहा।
जो मेवाड़ पुरखों से चली आ रही परंपरा थी, वह अब टूट गई है।
अब छोटों की भी नई सोच को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
तभी बच्चे बाप और बेटे बेटी के साथ सामंजस्य बना रहेगा।
