एक कहानी
एक कहानी
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कब दुआ में मांगा था उन्हें
कब एक ही नजर में पाया था उन्हें
एक ही पल में उलझन में पड़े
या कुछ इश्क, मोहब्बत में पड़े
लकीरे मिलाई हाथों की, मुलाकातें की
थोड़ी से प्यार भरी बातें भी की
एहसासों की डोर में बंधते चले गए
कच्चा रिश्ता चाहत का बुनते चले गए
एक गलती से सब खत्म हो गया
और वो हमसे खफा हो गया
ना ही रही नफरत
ना ही रही मोहब्बत
मगर कैसे उन्हें भुला पाएंगे
कैसे किसी और से दिल लगाएं !!