एक कहानी लिखते हैं
एक कहानी लिखते हैं
सूखी अंतड़ियों की खातिर, खाना-पानी लिखते हैं ।
चलो समय की छाती पर हम, एक कहानी लिखते हैं ।।
किससे बिछड़े किसको पाया, इसपर भी संवाद करेंगे ।
अपने दुखड़े, अपनी पीड़ा, बैठ एक दिन याद करेंगे ।
अभी समय है, उठो नियति की, स्वयं बयानी लिखते हैं...
चलो......।।
सूरज को भी न्योता भेजो, एक नया दिन लिखना है ।
खुद के तारे, खुद का चंदा, खुद के पल-छिन लिखना है ।
या कुदरत से साझा करके, आँधी-पानी लिखते हैं...।
चलो समय...।।
