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Keshav singh Rathour

Tragedy

3  

Keshav singh Rathour

Tragedy

एक दुखियारी

एक दुखियारी

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एक दुखियारी सड़क किनारे 

आखिरी सांसें गिन रही है 

लगा कर वो ऑक्सीजन

आखरी सांस तक लड़ रही है

लगाकर जोरदार तमाचा 

सिस्टम की तैयारी को

कोस रही होगी मन ही मन 

अपनी इस गरीबी को।


आखिर क्यों अमीर बेड पर 

गरीब रोड पर नजर आते हैं

सिस्टम की लापरवाही का उदाहरण

क्यों हर बार गरीब ही बन जाते हैं।


एक दुखियारी सड़क किनारे

जीवन के लिए लड़ रही है

पैसे के अभाव में 

तिल-तिल कर मर रही हैं।

   


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