एक चाल
एक चाल
अविश्वास का फेरा
आक्रोश ने घेरा
न बने बात
शतंरज सी चाल
चले आस पास
तब भी अपने व्यवहार में
नम्रता बनाए रखिये।
क्रोध हो अपरंपार
छलक पढ़े जज़्बात
काल आ जाए पास
तब भी अपने व्यवहार में
नम्रता बनाए रखिये।
अंधकार का साया
विदूषक की माया
भुजंग उठाए फन
क्रोधित हो दबंग
तब भी अपने व्यवहार में
नम्रता बनाए रखिये।
कठिनता का दौर
महफिलों का ठौर
प्रेम सा अहसास
न हो आसपास
तब भी अपने व्यवहार में
नम्रता बनाए रखिए।
