एक औरत
एक औरत
एक औरत का जीवन सुंदर नदी सा होता है,
कभी तेज तो कभी धीरे बहता है।
अपनों के लिए सबसे लड़ जाती है,
पर अपने लिए अपनों से नहीं लड़ पाती है।
नई पीढ़ी को वह दुनिया में लाती है,
लाड़ प्यार से काबिल बनती है।
सबकी इच्छा पूरी हो ऐसी विनती करती है,
पर उसकी इच्छा वहां कहीं नहीं मिलती है ।
सबको साथ लेकर बढ़ती है,
लेकिन अपनी किस्मत नहीं पड़ती है ।
सबको मार्ग दिखाती है ,
पर अपना रास्ता नहीं चुन पाती है ।
सारी जिम्मेदारी का भार उठती है,
पर कभी नहीं लड़खड़ाती है।
बहते-बहते सागर को मिल जाती है,
मरते-मरते दिलों में अफसोस छोड़ जाती है।
