एहसास
एहसास
मैं मेरेपन के भान में
तुम तेरेपन की शान में
अपने नाम की पहचान में
परिंदे उड़े आसमान में
मैं मेरा कुछ भी ना रहा
जहां में क्या क्या सहा
तुम तुम्हारी जीवनी राह में
सर्वस्व चाहना की चाह में
राम जाने क्या हुआ
कानों में गूंजे सुआ
संवारे की आस में
पूर्णतः विश्वास में
जीवनी मरण में
आपकी शरण में
जुगल चरण में
काव्य मनहरण में
जगह मिल जाए जी
जीवन पुष्प खिल जाए जी।