एहसास एक अधूरा किस्सा
एहसास एक अधूरा किस्सा
तुम मिले तो जाना ये जिंदगी क्या है,
मुकम्मल इश्क है तो बंदगी क्या है..
अरसे गुजर गए मुलाकात के बगैर,
तड़प दिल में उठती रही, तेरे बगैर..
अजीब कशमकश में गुजारता हूं,
सारे पल अपने..
सच बता दो ये जिंदगी क्या है...?
अगर ये दिल्लगी नहीं,
तो फिर दिल्लगी क्या है....

