अधूरापन
अधूरापन
तुम बिन है सूना जीवन, जैसे वीराना सा वन
कैसे पहुंचें मेरे खत अब, कहता है जो मेरा मन
तुमको दिल की हालत की, फिक्र नहीं होती है क्या....
मैं कैसे जीता हूं, ये फिक्र नहीं होती है क्या.....
कितने बेखबर, बेपरवाह हो गए हो...
कितना तड़पाएगा मुझको,
मेरा ये दीवाना पन....

