एहसान
एहसान
तुम दोस्त बन कर धोखा दे रहे थे
और हम सच्ची दोस्ती का गुण गा रहे थे।
हम दबे हुए थे दोस्ती की मोहब्बत में
तुम गिरे हुए इंसान निकले जो
दुनिया के सामने एहसान गिना रहे थे।
चलो अगर तुमने रिवायत निभाई है
तो ये भी बता दो कब तुम्हारे एहसान के बदले
हमने तुम पर अपनी दुनिया नहीं लुटाई है।
हमने तुमको अपनी जान से भी ज्यादा माना
तुमने तो अपनी दोस्ती को अच्छा दागदार किया
ये भी तो समझ लेते सफेद कपड़े पर भी दाग उभार आते हैं।
अपनी जबान को खोलने से पहले संभल जाते हैं
अच्छा हुआ आज तुम्हारी सच्चाई सामने आ गई
मेरे अपनों में भी दगाबाज छिपा बैठा था।
दुनिया वालों से बेवजह ही शिकायत करी हमने।।