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Dheerja Sharma

Abstract

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Dheerja Sharma

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ए वक़्त ज़रा आहिस्ता चल

ए वक़्त ज़रा आहिस्ता चल

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ऐ वक़्त ज़रा आहिस्ता चल

क्यों सरपट भागा जाता है

निपटाने हैं काम कई

क्यों हाय मुझे दौड़ाता है।


कुछ पल के लिए ठहर तो

कुछ सपने पूरे कर लूं।

छूटे हैं काम कई जो

वो काम अधूरे कर लूँ।


कुछ रूठे यार मनाने हैं

कुछ रिश्ते नये बनाने हैं

खुद से भी बातें करनी हैं

कुछ किस्से नये सुनाने हैं।


तेरी इस भागा भागी में

मैं सचमुच हाँफ गया हूँ

तू सच्चा यार नहीं है

अब तो भांप गया हूँ।


तू थोड़ा ठहर जाय जो

मैं मां से ही मिल आऊँ

इस बरस आए जब राखी

बहना का प्यार भी पाऊँ।


लेकिन तू निर्मोही है

ये प्यार व्यार क्या जाने !

बस भागम भाग लगाई

और अपने मन की माने।


कुछ पल तो यार ठहर जा

कुछ खुशियां गले लगा लूं

रोतों को ज़रा हँसा लूं

रूठों को गले लगा लूँ।


ऐ वक़्त ज़रा आहिस्ता चल

कुछ सपने पूरे कर लूं

छूटे हैं काम कई जो

वो काम अधूरे कर लूं।


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