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himanee bisht

Tragedy

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himanee bisht

Tragedy

ए ख़ुदा क्यों?

ए ख़ुदा क्यों?

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दुनिया में हमारा होना सजा सा लगे

ख़ुशियों को छू भी पाना सपना सा लगे

जिंदगी कट जाती है, बेबसी में

आखिरी सांस भी ना ले पाए खुशी से

ना जाने क्या ग़लती हुई??


ए ख़ुदा तू मुझ को बता दिन गुजरते हैं, भीख मांगने से

क्यों हम पढ़ने के लायक नहीं, तन ढकने को क्यों ??

कपड़ा नहीं

सोते हैं हम सड़कों पर सरेआम नंगे यूं ही

आग है, पर खाना नहीं

खुश हो जाते हैं हाथ सेक कर यूं ही

ना जाने क्या ग़लती हुई??


कभी पूछो हमसे क्या?? हमारे कोई अरमान नहीं

क्या?? माँ -बाप को ख़ुशियाँ देना हमारा सपना नहीं

खुश होते अगर १०० कमियाँ होती मगर,

गरीबी जैसी सजा हमको न मिली होती

ख़ुदा तू मुझ को इतना बता जिंदगी क्यों ?? है हिस्सों में बटी

हमसे क्या ग़लती हुई जो गरीबी हमारी सज़ा है बनी.....


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