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Neerja Sharma

Abstract

2.4  

Neerja Sharma

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दूरियाँ

दूरियाँ

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रंग बदलती दुनियाँ में 

हर चीज बदल रही है 

क्या इंसान क्या फितरत

हर पल सरक रही है ।


नज़दीकियाँ मज़बूरी है 

दूरियाँ शायद जरूरी है

प्राइवैसी का जमाना है

अपनों से स्वयं की दूरी है ।


सोचते हैं समझदार हो गए

दिमाग थोड़े ऊँचे हो गए 

सूपिरियोरिटी कम्पलैस लिए

दूसरों से बचकर चलने लगे ।


नहीं जानते अपनों का महत्व

जीवन अकेले न होगा बेहतर 

सामाज से दूर, है जीना दूभर

सोचो कैसे मिलेगा अपनत्व।


क्या सबक कुदरत ने सिखाया 

दूरियों का मतलब अब समझ आया 

पहले मजे़ करने को दूरी को अपनाया 

आज जीने के लिए दूरी को बनाया ।


अब जब आई करोना महामारी

हालात ने कहा अब बढ़ाओ दूरियाँ 

मज़बूर इंसान अब चाहे नज़दीकियाँ

साँसें भी कहें बढ़ाओ खुद से भी दूरियाँ।


ऊँच-नीच ,अमीर-गरीब 

सबका एक ही नारा है 

जिंदा गर अब रहना है 

दूरियों को बना रखना है ।


बस रखनी है केवल एक बात याद

दूरी इंसान से इंसान की है बचाव

दिलों की दूरी सब मिटा दो आज

मन से जुड़ो सब इक दूजे के साथ।


जब तक न हो जाए करोना का खात्मा 

दूरियाँ रखना हर जगह यह मानना

यही दिलाएगी जीत इस जंग में जानना

जीत के बाद ही मिलजुलकर है रहना।


सोशल डिस्टैंसिंग का मंत्र कमाल 

जीवन का हो गया हाल- बेहाल

सबसे ज्यादा वही कर रहे मलाल

जो पहले रखते थे दूरियाँ फिलहाल।



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