दुल्हन
दुल्हन
प्रफुल्लित- सुगठित मेरी दुल्हन,
तोड़े तन के सब विकारों को ,
जोड़ दे मन के सब झंकारों को,
*स्नेहिल दुल्हन , प्रीत की दुल्हन ।*
अन्नपूर्णा की देवी वो कहलाए,
रसोईघर को सदा वो महकाए ,
भंडारों को करे अन्न संपन्न हित,
*स्नेहिल दुल्हन , प्रीत की दुल्हन ।*
ममता छलके वो मृगनयनी ,
संघर्ष में हर्षित हंसिनी रागिनी,
त्याग की प्ररेणा, वो मंदाकिनी,
*स्नेहिल दुल्हन , प्रीत की दुल्हन।*
वो लक्ष्मी वो दुर्गा शक्ति भवानी,
कर जाए मन में जो उसने ठानी,
खुशी में झूमें वो मदमस्त दीवानी,
*स्नेहिल दुल्हन , प्रीत की दुल्हन।।*