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Bhawana Raizada

Abstract

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Bhawana Raizada

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दुखी मन मेरे

दुखी मन मेरे

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दुखी मन मेरे

मेरी बात सुनाओ

पावन नदिया सी मैं बहती


सबकी प्यास बुझाती रहती

इतराती और मस्ती में चलती

तूने मेरी राह भटकायी


नित्य नई पहेलियां बुझाईं

गन्दगी की कालीन बिछाई

तू स्वार्थ का पुतला बन गया


मेरा अस्तित्व खतरे का घंटा

हर पल इसको न ठुकराओ

कभी तो मेरे भी गुण गाओ।


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