दस्तक
दस्तक
जब प्रेम तुम्हारे द्वार पर दस्तक दे,
तो द्वार खोलकर
हँसना तुम
इतना हँसना कि
प्रेम के साथ साथ
ये पूरा संसार हँसने पर मजबूर हो जाए
और फिर उसे गले लगा लेना
प्रेम जब तक साथ रहे,
तब तक एक आँसू मत बहाना तुम,
'वो सब' कहेंगे- "ये गलत है.
प्रेम में आँसू भी गिराने होते हैं।"
तब तुम गर्व से कहना-
"मैं प्रेम की नई परिभाषा लिख रही हूँ।"
और हँसना तुम।
इतना हँसना कि
सारे संसार के प्रेम की यही
परिभाषा हो जाए।