STORYMIRROR

Priyanka Singh

Tragedy Others

4  

Priyanka Singh

Tragedy Others

दरकती दीवार

दरकती दीवार

1 min
334

मेरे गांव में एक घर की पुरानी दीवार,

दरकते रिश्तों सी दरकती दीवार,

कुछ ईंटें हैं बिखरी कुछ अब भी हैं चस्पा,

कई पुश्तों की कहानी समेटे दीवार,

सुनाते हैं तुमको गर वक्त हो तो 

कुछ कहना चाहे ये बूढ़ी दीवार। 


कभी बांधे थी खुद में हज़ारों यादें,

ऑंगन में बच्चों के खेल, मॉंओं की बातें,

भैंस का चारा, दूध का दुहना,

सुबह का चूल्हा, दही का मथना,

चारपाई पर लेटी अम्मा की बुड़बुड़

सॉंझ को नीम तले हुक्के की गुड़गुड़। 


ठिठोली भी होती, लड़ाई भी होती,

मुंह फुलाए ननद-भौजाई भी होती,

कभी बनती-बिगड़ती, भाइयों में ठनती,

अम्मा की डांट पर मान मनौव्वल भी होती,

खामोश खड़ी थी, पर सब सुनती थी,

वो दीवार जिसकी पुरखों ने नींव रखी थी। 


अब सबको जाना शहर था सब पढ़ गये थे,

छोड़ अम्मा-बाबा को सब कढ़ गये थे,

वो ऑंगन था सूना, वो नीम अकेला,

अब कहॉं लगता था बच्चों का मेला,

अम्मा चल बसीं, न बाबा रहे,

वो नीम, वो दीवार वहीं थे खड़े। 


हरा नीम सूख कर ठूंठ खड़ा था,

हुई चौखट पुरानी, किवाड़ गिर पड़ा था,

दीवार की ईंटों में काई जमी थी,

धीरे-धीरे वो भी गिर पड़ी थीं,

आवाज़ें सुनने को तरसती बूढ़ी दीवार,

दरकते रिश्तों सी दरकती दीवार।। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy