दरख्त...
दरख्त...


दिल हंसता है
सांसे मुस्काती हैं
जब याद तेरी आती है... I
बाबरे से दिल में
मीठे लम्हे खुशबू
बन कहीं मुस्काते हैं..!
बेदर्द -यादें -हमदर्द बन
यू तड़पाती हैं..
एक चादर
ख्वाहिशों की
हृदय -धूप -में- कहीं
दरख़्त - छांव सी
बिछ जाती है..!