दोस्ती
दोस्ती
दिल के किवाड़ खोलिये ,
तभी तो सुलझेगा मसला ।
उलझन को यूँ सुलझाते
बढ़ ना जाये फासला ।।
माना की हम है
नासमझ थोड़े से ।
पर वो भी तो
दिखाते तेवर हमसे।।
दोस्ती में हम, कम ही
इस्तेमाल करते है तदबीर।
भूली दोस्ती को याद दिलाना
यही है शायद हमारी तकदीर ।।
"दोस्ती " , ये शीरीलब्ज
घुल मिल गया इस अंग ।
आप हमें भूले ही सही
हम ना छोड़े ये संग ।।
©®गौतमी सिद्धार्थ (25/2/2021)