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गौतमी सिद्धार्थ

Romance

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गौतमी सिद्धार्थ

Romance

नया चाँद

नया चाँद

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चाँद की बाँहो में जाना ,

सुकून ही देता है हमेशा,

हम तो यूँ मदहोश होते हैं ,

कि वक्त का पता नही चलता,

मीठे मीठे सपनों मे खोना,

किसे पसंद ना होगा,

पर हाय! 

आजकल हमारा चाँद रुठा है हमसे...

अब तो बस....

यादों पे ही गुजारा होता है....

वही हमे सुकुन देती है...

और आज भी ,

यादों की गलियो मे वक्त का पता नही चलता...

अब तो ये सपने ही अपने बनकर रह गये...

उसी वक्त और एक सपना जनमा...

अपनी बैवकुफी पे हंस के कहा हमने ...

हाय राम! खुद से प्यार करना ही भूल गयी...

और खुद को ही प्रेमदिवस की ढेरो बधाँईया दी!

खुद को ही प्यार भरी झप्पी दी....

आज भी चाँद की बाँहो में सुकून मिलता है,

बस्स अब चाँद नया है....

भाई, क्या हम किसी चाँद से कम थोडी ना हैं .....

©®गौतमी सिद्धार्थ (15/2/2021)



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