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Nand Lal Mani Tripathi

Classics

3  

Nand Lal Mani Tripathi

Classics

दोस्ती

दोस्ती

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एक दूजे पे मिट जाना

एक दूजे की खातिर खुद

न्यौवछावर हो जाना।

त्याग बलिदानों का रिश्ता

अनोखा मित्रता का भाव तराना।


अलग अलग मन मस्तिष्क

शरीर एक दूजे की हस्ती का

विलय सयुक्त हस्ती उदय

दोस्ती याराना।


मुश्किल है मिलना अजीम 

अजीज शख्स शख्सियत

दोस्त दोस्ती का मिल पाना।


मत एक मतभेद नहीं

ह्रदय दो पर बंटा नहीं

शुख दुःख का भागिदार

आरजू ईमान इंसान 

प्यार यार याराना।


एक ऐसा रिश्ता परे स्वार्थ

निश्चल जाती धर्म

देश काल परिस्तितिे बंधन 

मुक्त मित्रता ने ना जाने कितने

इतिहास रच डाला।


सखा स्वरुप गोपियों को

कृष्णा मिल जाता नारी नश्वर

सृष्टि दृष्टि में मर्यादा 

मूल परम शक्ति सत्ता अर्ध 

नारीश्वर कहलाता।


भेद नहीं विभेद नहीं द्वेष

दम्भ नहीं मित्रता मर्यादाओं

मर्म धर्म कर्म दायित्व बोध

एक दूजे का सुख दुःख 

एक दूजे का हो जाता।


कौन नहीं जानता है युग में

कृष्ण सुदामा मित्र धर्म में

जगत कृपालु का निर्वाह

नहीं समझ सका सुदामा मित्र

धर्म का निर्वाह।


मधुसूदन मित्र के मिलने से ही

श्रीदामा को जग ने जाना।


अपमान तिरस्कार के घावों

पीड़ा में घायल कर्ण को दुर्योधन

मित्र का मरहम महारथी

जीवन संकल्प साध्य साधना

आराधना जीवन मूल्य राधेय

कर्ण मित्र धर्म के ध्वज

धन्य को युग ने जाना।


कौन कहता है रिश्तों का

मोल नहीं रिश्तों की दुनियां में

रिश्ते अनमोल ।

मित्रता की मस्ती दोस्ती की हस्ती

हर हद को तोड़ती रिश्तों का

मायने मतलब का नया आयाम

अंजाम है गड़ती।


दुनिया में अब रिश्तों के मतलब

बदल गए सखी सखा के भाव

भक्ति के रिश्ते बॉय फ्रेंड गर्ल

फ्रेंड में हो गए।


विकृत हो चुकी मानसिकता

महिला मित्र के मतलब

स्वार्थ अर्थ का चित्त।            


द्रोपदी की सुन पुकार आया

मधुसूदन दौड़े भाग नारी के

अस्मत अस्तित्व का सखा

गिरवर गिरधारी बन गया चट्टान।


अब मित्र का रिश्ता भी दूषित

द्वेष का आधार प्रति दिन मिलते

बिछड़ते मित्रों को मित्र रहता नहीं

याद।


मित्रता की देकर दुहाई

मित्र मित्र को करता शर्मसार

कृष्ण सुदामा कर्ण दुर्योधन

मित्रता के रिश्तों के मिशाल मशाल।


घुटती है स्वर्ग में आत्मा

जिसने रखी मित्रता

बेमिशाल देख कलयुग में मित्रता की

पवित्रता को कलुषित कलंकित करता

झूठे मित्रों का समाज।


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