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बोधन राम निषाद राज

Inspirational

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बोधन राम निषाद राज

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दोहा - प्रांप्ट (18)

दोहा - प्रांप्ट (18)

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ये कैसा संसार है, अस्त-व्यस्त घर द्वार।

कैसी ये वीरानियाँ, कचरों का अम्बार।।


जाग उठो ऐ भाइयों, करो स्वच्छता काम।

पुण्य कर्म यह देश का, करलो ऊँचा नाम।।


कहीं नहीं हो गन्दगी, महके ये घर-बार

ऐसा पावन तीर्थ हो, पूजे सब संसार।।


राह चलो तुम स्वच्छता, होगा गृह निर्माण।

साध निशाना लक्ष्य पर, सोच चलाओ बाण।।


गेह बने ज्यों स्वर्ग सम, सुन्दर सा संसार।

तन मन पावन हो तभी, रोग मुक्त घरद्वार।।



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