दो घटनाये एक साथ
दो घटनाये एक साथ
एक ओर है मौत का तांडव, मचा हुआ कोहराम
हालत गंभीर है कितने मरीजों की, न जाने, होगा क्या अंजाम||
चीख पुकार है प्रियजनों में, हो क्षतिपूर्ति, कैसे हो कल्याण
लाशे जल रही श्मशानों में, ये रुकेगा कब तूफान॥
बवंडर है ये कैसा भयानक, जो करता रोज विनाश
नाश करें जो इस असुर का, वो, बना नहीं ब्रह्मास्त्र||
दूसरी ओर है शांतिचित्त वातावरण और मौसम है, बईमान
मद-मद शीतल वायु बहती, प्रकृति में बढ़ रही जान||
नई-नई कोंपले पेड़-पौधो पर, हरे-भरे खेत-खलियान
तैयार खड़ी फसल देखकर, खुश है आज, किसान||
दु:ख-पीड़ा से त्रस्त है मानव, गिर रहा तापमान
खुशी मना रहे खग-विहग सब, बस, कैद में है इंसान||