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Amit Jaglan

Abstract Inspirational

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Amit Jaglan

Abstract Inspirational

दिन कुछ पुराने नजर आते हैं

दिन कुछ पुराने नजर आते हैं

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दिल के अरमान बिछड़े नजर आते हैं,

वो चेहरे से कुछ बदले नजर आते हैं,

अपनों की महफ़िल से खाईं हैं ठोकर,

अब ये गम–ए–दिल सुनाऊँ किसे,

 सब यहाँ अपने नजर आते हैं,


नाराज ना हो ए जिंदगी मुझसे,

तुझमें ही तो सपने नजर आते हैं,

जहाँ हूँ वहाँ रहना पसंद नहीं मुझे,

मुझे मेरे आशियाने नजर आते हैं,

अपनी मिट्टी को छोड़ आया हूँ मैं,

लेकिन मुझे गुजरे नजारे- नजर आते हैं,


दिन कुछ पुराने नजर आते हैं,

उदास होकर बैठ जाता था जहाँ,

वो समुद्र के किनारे नजर आते हैं,

दिन कुछ पुराने नजर आते हैं,

दुख की यादों से दूर कहीं,

खुशी के बहाने नजर आते हैं,


दिन कुछ पुराने नजर आते हैं,

“अमित” ये दुनिया तेरी नहीं,

सब यहाँ बेगाने नजर आते हैं,

दिन कुछ पुराने नजर आते हैं।


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