जिंदगी एक बुलबुला
जिंदगी एक बुलबुला
पानी के बुलबुले जैसी है जिंदगी
कब चलते चलते खत्म हो जाए
ना कोई जान पाया है
ना कोई जान पाएगा
बस यूँ ही धीरे धीरे
जिंदगी का हर लम्हा खत्म हो जाएगा
एक दूसरे से नाराज ना हुआ करो
ये वक़्त बहुत कीमती है
इसे छोटी छोटी बातों पे
बर्बाद ना किया करो
ये जिंदगी बहुत छोटी है
कब गुजर जाए
किसी को पता नहीं
कल अपने चार बेटों के
कंधे थपथपाते पिता
उन्हें कुुुछ समझा रहे थे
पर आज उन्हीं चार बेटों के कंधों पर
पिता शमशान जा रहे थे।