STORYMIRROR

Amit Jaglan

Classics Inspirational

4  

Amit Jaglan

Classics Inspirational

जिंदगी एक बुलबुला

जिंदगी एक बुलबुला

1 min
260

पानी के बुलबुले जैसी है जिंदगी

कब चलते चलते खत्म हो जाए

ना कोई जान पाया है

ना कोई जान पाएगा


बस यूँ ही धीरे धीरे  

जिंदगी का हर लम्हा खत्म हो जाएगा

एक दूसरे से नाराज ना हुआ करो

ये वक़्त बहुत कीमती है


इसे छोटी छोटी बातों पे

बर्बाद ना किया करो

ये जिंदगी बहुत छोटी है 

कब गुजर जाए


किसी को पता नहीं

कल अपने चार बेटों के

कंधे थपथपाते पिता 

उन्हें कुुुछ समझा रहे थे 


पर आज उन्हीं चार बेटों के कंधों पर

पिता शमशान जा रहे थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics