दिल की वेदना
दिल की वेदना
दिल में उठी वेदना हर पल,
कोयले का अभिनंदन कर।
आँखों से बहतेे आँसू हर पल,
अपनी मूर्खता का मापन कर।
बीते क्षण को याद करें हर पल,
क्यों नहींं वर्तमान में सभले हम।
जीकर भी मरते हर पल,
अपनी मूखर्ता का मापन कर।
जीवन के क्षण खोए हर पल,
क्यों नहींं समझ पाए हम।
मन मेें टीस रही हर पल,
अपनी मूर्खता का मापन कर।
चारो ओर उठे हर पल,
बादल सा एक गर्जन।
रिमझिम सा बहेे हर पल,
अपनी मूर्खता का मापन कर।
अपनी लघता पर रोयें हम,
क्या इतनेे भी बड़े नहीं हम।
हमको ठुकराए हर पल,
अपनी मूर्खता का मापन कर।
